दोस्तों, महाभारत महाकाव्य एवं इसके प्रमुख अंश शांतिपर्व एवं श्रीमद्भगवद्गीता प्राचीन काल से लेकर आज तक मानव की नैतिक, चारित्रिक, भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के प्रमुख स्त्रोत रहे हैं। प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल एवं दार्शनिक – सी. राजगोपालाचारी ने इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुये लिखा है कि “महाभारत केवल भारत की ही नहीं अपितु पूरे विश्व की सम्पत्ति है।” अगर आप यह जानना चाहते है कि Mahabharat ki rachna kisne ki तो, इसका उत्तर है कि इसकी रचना महर्षि वेदव्यास (Vyasa) ने कि है।
इसका प्रमाण स्वयं महाभारत के आदिपर्व के प्रथम अध्याय के श्लोक क्र. 62 से 83 में दिया हुआ है।
व्यासजी ने ब्रह्मा से कहा –
भगवन् मैंने इस महाकाव्य में समस्त वेदों, उपनिषदों, इतिहास एवं पुराणों का मंथन करके चारों वर्णों के कर्तव्य को निर्दिष्ट करते हुये इस ग्रन्थ की रचना की है। न्याय, शिक्षा, ज्योतिष, दान, धर्म, समाज, भूगोल, भाषाओं, जातियों, कला, संस्कृति इत्यादि जितनी भी विशेषताएँ लोक व्यवहार की सिद्धी के लिए आवश्यक हैं एवं जितने भी लोकोपयोगी पदार्थ हो सकते हैं, उन सबका प्रतिपादन इसमें किया है, परन्तु मुझे इस बात की चिन्ता है कि इस पृथ्वी पर ऐसा कोई नहीं है जो इसे लिख सके।
तब ब्रह्माजी ने कहा आप इसके लेखन हेतु गणेशजी से निवेदन करें। तब व्यासजी ने गणेशजी से कहा कि ‘गणनायक! आप मेरे द्वारा निर्मित इस महाभारत ग्रन्थ के लेखक बन जाइये। मैंने मन ही मन इसकी रचना कर ली है, मैं बोलकर लिखाता जाऊँगा।’ गणेशजी ने कहा ‘व्यासजी मैं लेखक तो बन जाऊँगा मगर लिखते समय क्षण भर के लिए भी मेरी लेखनी रूकनी नहीं चाहिए।’ तब व्यासजी ने कहा ठीक है, मगर आप बिना समझे किसी भी प्रसंग में एक अक्षर भी न लिखियेगा।
इस प्रकार श्री गणेशजी ने ऊँ कहकर स्वीकृति प्रदान की और महाभारत को लिखना आरम्भ कर दिया।
महाभारत की रचना कब कि गई थी?
मैंने इस प्रश्न का उत्तर खोजने का काफी प्रयास किया लेकिन मुझे इसका कोई सटीक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। वास्तव में, जिस महाभारत का लिखित रूप आज हम देखते है उसका विकास लगभग हजार साल के कालखंड में हुआ है। इतिहास में इसकी रचना का कोई एक विशेष वर्ष तय नहीं किया गया है।
ऐसा कहा जाता है कि इस महाकाव्य की मूल कहानी के रचनाकार भाट सारथी थे; जिनका दूसरा नाम सूत भी था। भाट सारथी योद्धाओं के संग रणभूमि में जाते एवं योद्धाओं की विजय, पराजय और उपलब्ध्यिों को काव्य रूप देकर लिखते थे।
ऋति परम्परा के तहत इन काव्यमय रचनाओं का प्रेषण मौखिक रूप से होता रहा। 500 ई. पू. ब्राह्मण वर्ग इस ऋति परम्परा से प्राप्त हुई महाभारत की कथावस्तु को लेखबद्ध किया। यह लेखन 500 ई. पू. से 500 ई. तक लगभग 1000 वर्ष चला।
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महाभारत युद्ध किस युग में एवं कब हुआ था?
महाभारत का युद्ध द्वापर युग में हुआ था। इस ग्रंथ में वर्णित कई स्थल आज भी भारत एवं इसके पड़ोसी देशों में मौजूद हैं जो इस युद्ध के ऐतिहासिक रूप से सत्य होने का प्रमाण है। आज के अधिकांश विद्वान महाभारत युद्ध को एक ऐतिहासिक घटना मानते हुये इसकी तिथि 1400 ई. पू. से 1000 ई. पू. के बीच निर्धारित करते हैं।
भारतवर्ष के महान गणितज्ञ तथा ज्योतिषविद् आर्यभट्ट ने महाभारत युद्ध का समय लगगभग 3100 ई. पू. तय किया है। उन्होंने इसका निर्धारण इस महाकाव्य में बताये गये उस समय के ग्रहों की स्थिती के आधार पर किया था, जिसे आज कई विद्वान सत्य मानते हैं।