करवा चौथ एक हिंदू व्रत है जो भारत और दुनिया के कुछ हिस्सों में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह एक दिवसीय व्रत है जो कार्तिक माह के चौथे दिन पड़ता है। यह व्रत पतियों की लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना के लिए मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास करती हैं और शाम को चांद के दर्शन के बाद ही भोजन करती हैं. नीचे करवा चौथ की कहानी PDF में दिया गया है. इसे डाउनलोड करें और करवा चौथ की पूजा में ध्यान लगाकर पढ़े.
करवा चौथ के व्रत की कहानी सदियों से महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रही है। तो आइए जानते हैं इस खूबसूरत रीति-रिवाज के पीछे की कहानी।
महिलाएं करवा चौथ के दिन भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. वे करवा, एक मिट्टी का बर्तन, जो चांद के प्रतीक है, को भी बनाती हैं. करवा चौथ पर महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक दिन भर का उपवास रखती हैं। इस दौरान वे कुछ भी नहीं खाते-पीते हैं। शाम को चांद देखने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं। नीचे करवा चौथ की सम्पूर्ण कथा पढ़े-
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ का महत्व अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करना है। करवा चौथ की उत्पत्ति के साथ कई किंवदंतियाँ जुड़ी हुई हैं। सबसे लोकप्रिय किंवदंतियों में से एक करवा नाम की महिला के बारे में है। करवा एक समर्पित पत्नी थी जो अपने पति से बहुत प्यार करती थी। एक दिन, उसका पति एक लंबी यात्रा पर गया हुआ था। करवा को उनकी सुरक्षा की चिंता थी इसलिए उसने उनकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया। कई दिनों के बाद उसका पति सकुशल घर लौट आया। करवा का व्रत सफल हुआ और वह अपने पति की जान बचाने में सफल रही।
करवा चौथ से जुड़ी एक अन्य कथा वीरवती नाम की महिला के बारे में है। वीरवती का पति एक सैनिक था जो अक्सर लंबी लड़ाई पर बाहर रहता था। वीरवती को उसकी सुरक्षा की चिंता थी, इसलिए उसने उसकी लंबी उम्र के लिए व्रत रखना शुरू कर दिया। एक दिन वीरवती का पति युद्ध में मारा गया। वीरवती बहुत दुखी हुई, लेकिन उसने अपने पति की आत्मा के लिए उपवास करना जारी रखा। बहुत दिनों के बाद वीरवती का पति जीवित हो उठा। वीरवती का व्रत सफल हुआ और वह अपने पति को पुनः जीवित करने में सफल रही।
करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए प्रेम, भक्ति और त्याग का दिन है। यह अपने पतियों के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करने का दिन है। यह विवाह के बंधन का जश्न मनाने का भी दिन है।
यहां करवा चौथ से जुड़े कुछ अनुष्ठान दिए गए हैं:
- सरगी: सुबह के समय विवाहित महिलाओं को उनकी सास द्वारा सरगी दी जाती है। सरगी सुबह होने से पहले का भोजन है जिसमें आमतौर पर मिठाई, मठरी, सूखे मेवे और फेनी शामिल होती है।
- प्रार्थनाएँ: महिलाएँ अपने पतियों के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए चंद्रमा देवता और अन्य देवताओं की प्रार्थना करती हैं।
- अर्घ्य: चंद्रोदय के बाद महिलाएं चंद्र देव को अर्घ्य देती हैं। अर्घ्य एक अनुष्ठान है जिसमें चंद्र देव को जल अर्पित किया जाता है।
- स्वागत समारोह: व्रत तोड़ने के बाद महिलाओं को उनके परिवार से स्वागत समारोह मिलता है। रिसेप्शन में आमतौर पर दावत और उपहार शामिल होते हैं।
आशा है आपको हमारा करवा चौथ की कहानी का ये PDF उपयोगी लगा होगा.