स्वामी विवेकानंद की ‘ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ’ ध्यान पर लिखी गई अब तक की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक है। इसमें उन्होंने ध्यान को लेकर अपने पूरे जीवन के आध्यात्मिक अनुभवों के अनेक पक्षों का विशद वर्णन किया है। यहां से ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ का PDF डाउनलोड करें तथा इसमें बताये गए नियमों का पालन कर अपने अंदर की आध्यात्मीक शक्ति को जागृत करें.
इस पीडीएफ ईबुक में, हम ध्यान और इसकी विभिन्न पद्धतियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम स्वामी विवेकानंद के विचारों को उद्धृत करते हुए समझेंगे कि कैसे ध्यान हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। हम यह भी जानेंगे कि ध्यान की विभिन्न तकनीकों को कैसे अपनाया जा सकता है ताकि हम अपने दैनिक जीवन में अधिक शांत और केंद्रित रह सकें।
ध्यान पर स्वामी विवेकानंद के विचारों का संकलन रामकृष्ण संघ की वेदान्त सोसायटी के प्रभारी स्वामी चेतनानंद जी द्वारा किया गया था और सन् 1976 में उसे पहली बार अंग्रेजी में ‘Meditation and its Methods’ के नाम से प्रकाशित किया गया था। यहां PDF में दी गई यह पुस्तक उसी का मूल हिंदी अनुवाद है।
नोटः अगर आप विवेकानंद की इस पुस्तक को अच्छे से पढ़ना चाहते हैं तो आप इस पुस्तक को Google Play Books पर ई-बुक के रूप में तथा रामकृष्ण मठ की आधिकारिक वेबसाइट से पेपरबैक के रूप में भी बहुत ही कम कीमत पर खरीद कर पढ़ सकते हैं।
इस पुस्तक में विवेकानंद जी के लेखन और अलग-अलग समय पर दिए गए उनके व्याख्यानों का संग्रह है, जो मुख्य रूप से ध्यान के सिद्धांत और अभ्यास पर केंद्रित है। इसका उपयोग आप ध्यान के प्रारंभिक मूलभूत बातों को जानने और समझने के लिए कर सकते हैं।
इस पुस्तक के दो भाग हैः
- योग के अनुसार ध्यान: पुस्तक के इस भाग में योग परंपरा में आने वाले ध्यान के अलग-अलग प्रकारों, जैसे – राज योग, ज्ञान योग और भक्ति योग के विषय में सारगर्भित चर्चा की गई है। इस भाग में इन अलग-अलग प्रकार के ध्यान के तरीकों को करने की पूरी प्रक्रिया भी बताई गई है।
- वेदांत के अनुसार ध्यान: इस भाग में ध्यान के विषय में वेदांत का दर्शन क्या कहता है, इस पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसमें बताया गया है कि ध्यान परम ब्रह्म के रूप हमारे स्वयं के सच्चे वास्तविक स्वरूप को साकार करने का एक माध्यम है।
पूरे पुस्तक में विवेकानंद जी ने आध्यात्मिक और शारीरिक भलाई के लिए ध्यान के महत्व पर बहुत जोर दिया हैं तथा कई अद्भुत लाभ भी बताए हैं। वे कहते हैं कि प्रतिदिन एकाग्र होकर ध्यान करना हमारी एकाग्रता (concentration), इच्छाशक्ति (willpower) और आत्म-नियंत्रण (self-discipline) आदि को विकसित करने में मदद कर सकता है।
ध्यान पर स्वामी विवेकानन्द के विचार
स्वामी विवेकानंद ‘ध्यान’ के विषय पर गहन विचार रखते थे। उन्होंने ध्यान को एक ऐसे साधन के रूप में महत्व दिया जिसे अपनाकर आदमी अपने वास्तविक स्व को महसूस करने के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है। उनके अनुसार यह एक ऐसा अभ्यास है जो मनुष्य को अपने अंदर गहराई से झांकने, जीवन के आध्यात्मिक पक्ष से जुड़ने और परमात्मा के साथ सीधे संवाद करने का अनुभव करने की अनुमति देता है।
स्वामी जी हमेशा एकाग्रता की शक्ति के महत्व पर बल देते थे। उनका मानना था कि सफलतापूर्वक ध्यान लगाने के लिए व्यक्ति के मन का एकाग्र होना अति आवश्यक है। वे अनियंत्रित भटकते मन को नियंत्रण में रखने तथा उसकी ऊर्जा को एक ही बिंदु पर केंद्रित करने के महत्व पर बहुत बल देते थे। उनका कहना था कि ध्यान के अभ्यास के माध्यम से मनुष्य मानसिक स्पष्टता (mental clarity), आंतरिक शांति (inner peace) और आत्म-साक्षात्कार (self-realization) प्राप्त कर सकता है।
मित्रों, अगर आप चाहे तो ध्यान से जुड़े विषयों पर रामकृष्ण मठ द्वारा प्रकाशित इन पुस्तकों को भी पढ़ सकते हैं-
- ध्यान और आध्यात्मिक जीवनध्यान
- ध्यान, धर्म तथा साधना
- अध्यात्ममार्गप्रदीप
- आनन्दधाम की ओर
- परमार्थ प्रसंग
- धर्मजीवन तथा साधना
- मौनयोग
इन सारी पुस्तकों को आप रामकृष्ण मठ की वेबसाइट- www.rkmnstore.org, से अपने घर पर मंगवाकर पढ़ सकते हैं।
विवेकानंद जी की यह PDF पुस्तक उन सभी पाठकों के लिए एक बहुमूल्य मार्गदर्शिका है जो ध्यान के विषय में और अधिक जानने-समझने तथा उसका अभ्यास करने के बहुत इच्छुक हैं।