27 जुलाई को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम जिले के धनुषकोडी गांव में हुआ था। उनका पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबेदीन अब्दुल कलाम था। उनके पांच भाई और पांच बहनें थीं। अब्दुल केवल 10 साल का था और वह अखबार बेचता था। कलाम का बचपन आर्थिक गरीबी में बीता। उनके पिता मछुआरों को नावें किराए पर दिया करते थे।
अब्दुल कलाम पायलट बनना चाहते थे, लेकिन ऋषिकेश जाने के बाद उन्होंने नई उड़ान के बारे में सोचा और अपना करियर अंतरिक्ष के क्षेत्र की ओर मोड़ लिया। कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम में पूरी की, सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की।
1962 में वह अंतरिक्ष विभाग से जुड़े, जहां उन्हें विक्रम साराभाई, सतीश धवन और ब्रह्म प्रकाश जैसी महान हस्तियों का साथ मिला। उनकी टीम ने 1980 में पूरी तरह से भारत में निर्मित उपग्रह रोहिणी लॉन्च किया, जो सफल रहा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में रहते हुए उन्होंने पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों का विकास किया। राजस्थान में दूसरा परमाणु परीक्षण (शक्ति 2) सफल बनाया। एपीजे अब्दुल कलाम ने 1998 के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पूरी टीम का नेतृत्व किया।
अब्दुल कलाम विभिन्न सरकारों में विज्ञान सलाहकार और रक्षा सलाहकार के पद पर रहे। 1992 से 1999 तक वह मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और DRDO सचिव रहे। राष्ट्रपति से पहले वह प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार भी रह चुके हैं। एपीजे अब्दुल कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। वह 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे।
अपने पूरे जीवन में उन्होंने लगभग 25 पुस्तकें लिखीं। एपीजे अब्दुल कलाम को देश-विदेश के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को भारत के तीन सर्वोच्च पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न (1997) से सम्मानित किया गया। एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी, ‘विंग्स ऑफ फायर: एन ऑटोबायोग्राफी’ अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी। हालांकि, यह इतनी लोकप्रिय हुई कि यह किताब चीनी और फ्रेंच सहित 13 भाषाओं में प्रकाशित हुई।
बुद्धि के धनी, ओजस्वी वक्ता, विचारक मंडल को उनके चले जाने से उनकी कमी सदैव खलेगी। ऐसे महान मिसाइल मैन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को दिल का दौरा पड़ा और 27 जुलाई 2015 को आईआईटी गुवाहाटी में भाषण देते समय उनकी मृत्यु हो गई।